मैं उसकी जगह कभी नहीं ले पाऊँगी,
जिसके लिए तुम आँसू बहाया करते थे,
जिसके लिए तुमने अपनी पूरी दुनिया कुर्बान कर दी थी।
मैं उसकी जगह कभी नहीं ले पाऊँगी,
चाहे तुम्हारा हर ग़म,
हर परेशानी अपने सीने में उतार लूँ।
तेरी उस तड़प को
अपने लिए कभी देख नहीं पाऊँगी,
जिसमें तू ख़ुद से ही रुस्वा होने को तैयार था।
पता नहीं क्यों अब भी इस मोड़ पर ठहरी हूँ,
किस इन्तज़ार में हूँ अब तक,
जब साफ़ नज़र आ रहा है —
ये मेरी दुनिया नहीं,
ये मेरी ज़मीन नहीं,
क्यूँकि ये मेरी कभी थी ही नहीं।