यह बरसात है की ख़तम ही नहीं होती,
शोर जो बादलों का है चुप ही नहीं होता,
सूरज होके भी नहीं दिख रहा,
दुंद का अंधेरा ख़तम ही नहीं होता.
रात समज के सोने की कोशिश करू,
आँखों को नींद का आसरा नहीं मिलता.
बंद दरवाज़ों में गीलेपन की महक है,
गीले आँखों की नमी को सूखापन नहीं मिलता
Dec 28, 2010
Nov 29, 2010
zindgi... tham le haath
आ छु लू तुजे... ले चल मुझे उस जहाँ जिसे छोड़ आई
जिंदगी... थाम ले हाथ, ऊँगली पकड़, जीना सिखा जो भूल आई
कोई ज़माना था... पर मेरा ही तो था
फिर भूल कैसे जो फिर भूल आई
उड़ते गगन में कोई हो या हो खली आसमान
तारों से जोड़ नयी मंजिलों की कर बधाई
उठते कदम जो गिर के सम्ब्ले... फिर गिरे
उन छोटी छोटी चोटों में आपना मज़ा है
आज फिरसे हसंना है कुछ गलती करके
आज दिल ने ख्वाहिशों की लौ जलाई
- ईशा
जिंदगी... थाम ले हाथ, ऊँगली पकड़, जीना सिखा जो भूल आई
कोई ज़माना था... पर मेरा ही तो था
फिर भूल कैसे जो फिर भूल आई
उड़ते गगन में कोई हो या हो खली आसमान
तारों से जोड़ नयी मंजिलों की कर बधाई
उठते कदम जो गिर के सम्ब्ले... फिर गिरे
उन छोटी छोटी चोटों में आपना मज़ा है
आज फिरसे हसंना है कुछ गलती करके
आज दिल ने ख्वाहिशों की लौ जलाई
- ईशा
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