Nov 29, 2010

zindgi... tham le haath

आ छु लू तुजे... ले चल मुझे उस जहाँ जिसे छोड़ आई
जिंदगी... थाम ले हाथ, ऊँगली पकड़, जीना सिखा जो भूल आई

कोई ज़माना था... पर मेरा ही तो था
फिर भूल कैसे जो फिर भूल आई
उड़ते गगन में कोई हो या हो खली आसमान
तारों से जोड़ नयी मंजिलों की कर बधाई

उठते कदम जो गिर के सम्ब्ले... फिर गिरे
उन छोटी छोटी चोटों में आपना मज़ा है
आज फिरसे हसंना है कुछ गलती करके
आज  दिल ने ख्वाहिशों की लौ जलाई

- ईशा