Karoge Yaad to har Baat yaad aayegi
May 26, 2017
वफ़ा
ऐ दर्द इतनी भी वफ़ा ना कर
कि बेवफ़ाई को शर्म आ जाए।
इतना भी आँखों में ना भर
कि बारिश को शर्म आ जाए।
खिड़की
यह धूप का मेरी खिड़की से झाँकना,
कह रही हो जैसे आइना लेके आयी हूँ।
ज़रा चेहरा तो देख इनमे,
कहीं घुम हुई तुम ना मिल जाए।
---इशा----
बेचारा ताकिया
कहीं बैठके एक कोने में
किसी तकिए को गले लगाकर
कुछ बातें करतें है।
कुछ बीती हुई, कुछ हो रहीं सुइयों के बक्से खोलते है।
उन बक्सों में दो बूँद आँसु मिलेंगे,
उनसे तकिए को भिगोते है।
---इशा---
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