Feb 5, 2017

कमबख़्त मोहब्बत

मोहब्बत इबादत से कम नहीं,
खुदा है फिर भी खुदा का कुछ पता नहीं।
कोई कहता है जन्नत के रास्ते पे चला है तू,
पर इससे बड़ा दर्द कुछ भी नहीं।
आब-ए-हयात सा मीठा कह ले कोई,
सूकूँ-ए-दिल से बहले कोई,
समन्दर से ज़्यादा बहते आसूँ,
दोज़ख़ से कम ग़म नहीं।

---इशा---