May 31, 2011

Ek Pal

एक पल...कहाँ से लाऊं, 
की वोह पल तुम्हारे संग जी सकूं...
एक पल कहाँ से लाऊँ, 
छु सकूँ और महसूस कर सकूँ तुम्हे...

कितने पल भीत गए  वोह पल ढूँढने में,
चिरागों में, अंधेरों में, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
मेरी रौशनी के अंधेरों को हटा सके...

बैठती रही, सोंचती रही, 
कभी कभी तो रोती भी रही, 
बात करूँ  तो क्या करू, किस्से कहूँ,
कि वोह पल माँगा दो, दूंढ दो, दिला दो...

बारिश कि बूंदों में आंसुओं को छुपाती रही, 
अब तो बारिश भी नहीं होती है,
रात के सन्नाटे में ख़ामोशी सुनती रही, 
अब तो नींद भी नहीं आती है, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
जो बदल कि खनक में हरियाली कि चनक भरे, 
मेरी जिंदगी को एक जिंदगी का नाम दे...


May 14, 2011

Let's Begin The Day

The Baby Sun has come in my Balcony,
The warm rays are peeking thru  my door.
It has got the breeze in......
touching my body & soul...

and I wake up in the golden rain,
smell of soil & singing rain...
So let's go out n play, with the rainbow & Hay...

Dancing birds, and falling falls,
catch the clouds, n sing with birds...
come with me, I will take u to the Lovee...

May 10, 2011

Ghar mein kyu hai yeh mela hai...

चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.
कोई नहीं है मगर फिर क्यों यह मेला है..

हवा की सरसराहट या सिसकियाँ है रोने की,
कहो कुछ भी मगर एहसास सर्द सा क्यों है...
चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.

सीली हुई है जगह, सीला सा दर्पण है,
नमी है आँखों में मगर फिर भी सब क्यों गीला है...
चलो अब शाम हुई, घर में क्यों अँधेरा है.