चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.
कोई नहीं है मगर फिर क्यों यह मेला है..
हवा की सरसराहट या सिसकियाँ है रोने की,
कहो कुछ भी मगर एहसास सर्द सा क्यों है...
चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.
सीली हुई है जगह, सीला सा दर्पण है,
नमी है आँखों में मगर फिर भी सब क्यों गीला है...
चलो अब शाम हुई, घर में क्यों अँधेरा है.
hey nyc work .. lookin forward for more keep writing....
ReplyDeletebeautiful
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