Feb 20, 2013

दिल से

दुकान-ए-यार के बैठे , खुम-ए-दर्द लायें है,
उक़ूबत जाम जो छिरका इताब-इज़्तिराब  पाएं है।





Feb 5, 2013

इत्तहद है खुदा से मेरी



एक इत्तहद है खुदा से मेरी
मेरे दर्द से लिपटी सर्द हवा
नंगी रातों में तेरे दरवाजे पे खड़े होगी
शगाफ़ से गुज़रके तेरे बिस्तर पर
तेरी सासों में मेरे अलम का एहसास देगी।

कुछ नमी भी है उन हवाओं में
आसुओं के नमक से भरी होगी
ठंड से कहीं आखें न खुल जाए तेरी
जलन से तेरे भी आँसू निकाल देगी।