एक इत्तहद है खुदा से मेरी
मेरे दर्द से लिपटी सर्द हवा
नंगी रातों में तेरे दरवाजे
पे खड़े होगी
शगाफ़ से गुज़रके तेरे बिस्तर
पर
तेरी सासों में मेरे अलम का
एहसास देगी।
कुछ नमी भी है उन हवाओं में
आसुओं के नमक से भरी होगी
ठंड से कहीं आखें न खुल जाए
तेरी
जलन से तेरे भी आँसू निकाल
देगी।
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