Karoge Yaad to har Baat yaad aayegi
कभी कभी संगमरमर में तराशी हुई आँखें ही काफी हैं, पल झपकते उनका रंग नहीं बदलता।
पढ़ते जाओ तो कहानियों का ढेर मिलता है। चलो कहानियाँ भी ये जूठ नहीं बोलता।
पढ़ने वाले बस नज़रिया बना लेते है, एहसासों को कोई समझ नहीं पाता।
——ईशा—-
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