Sep 12, 2024

दीवार में चुनी हुई कहानियाँ

 

कभी कभी संगमरमर में तराशी हुई आँखें ही काफी हैं, पल झपकते उनका रंग नहीं बदलता।

पढ़ते जाओ तो कहानियों का ढेर मिलता है। चलो कहानियाँ भी ये जूठ नहीं बोलता।

पढ़ने वाले बस नज़रिया बना लेते है, एहसासों को कोई समझ नहीं पाता। 



——ईशा—- 


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