Apr 4, 2011

Raaste


आज रास्ते फिर खड़े है तन्हाईयों की सिसकियाँ लेके, 
आज रात भर फिर हम नींद से परे है.
सोंचते है धुप में कुछ अंधेरे तो घुल जायेंगे, 
आज किरने फिर बादलों से गिरे है. 
गीले आंसुओं की ठण्ड से सहम गया है दिल, 
आज फिर धडकनों में दर्द उमड़ पड़े है.


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