Karoge Yaad to har Baat yaad aayegi
Jun 23, 2012
तुमसे ही
पलकों पे सपनो की शबनम पड़ी हुई है,
क्या करूँ बंद होते ही आंसू बन बह जाती है.
रात का इंतज़ार नहीं, दिल डरने लगता है,
नींद का आगाज़ नहीं, 'मैं' तनहा रह जाती है।
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