Jul 27, 2012

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया

हमने भी फुरसतों में तुमसे प्यार नहीं किया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


रात इक कोने में पड़ी हमको सुला रही थी,
आपनी हसीं की रौशनी से तुमने जगा दिया। 
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया। 


रोके रहे कि दिल को  आदत नहीं हो जाये, 
सहमे रहे कि बाहें तेरी हमसे न हट जाये.
तुने फिरसे रोने का बहाना दिला दिया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


अब न चाहकर भी तेरी खुशबु से लिपट पड़ी,
दूर तक तू है नहीं, पर एहसास से जुडी,
क्या फुरसतें, क्या प्यार, यह तनहाइयाँ दिला दिया,

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।












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