तू है कहीं दूर सितारों के परे,
फिर भी कितने पास मेरे बसता है,
दिन के अँधेरें में भी,
रोशनी सा चमकता है।
किसी को तू दिखता नहीं,
फिर भी तेरे आगे झुकता है,
तेरे तसवुर में मुझे,
मैं मिलता है।
—-इशा—
फिर भी कितने पास मेरे बसता है,
दिन के अँधेरें में भी,
रोशनी सा चमकता है।
किसी को तू दिखता नहीं,
फिर भी तेरे आगे झुकता है,
तेरे तसवुर में मुझे,
मैं मिलता है।
—-इशा—