Nov 10, 2017

तू है मेरा

तू है कहीं दूर सितारों के परे,
फिर भी कितने पास मेरे बसता है,
दिन के अँधेरें में भी,
रोशनी सा चमकता है।
किसी को तू दिखता नहीं,
फिर भी तेरे आगे झुकता है,
तेरे तसवुर में मुझे,
मैं मिलता है।

—-इशा—


बेचारा सपना

चुपचाप सा कोना पकड़ा मैंने अपना,
ठंडे फ़र्श पे जो सोया मेरा सपना,
लगा कि तकिया बनाके रखूँ अपने सीने को,
शायद सो पाए वोह आँखों में पर हो ना।

—इशा—

दीवारें

आज कल दीवारें दोस्त बनी बैठीं है,
जो बोलती नहीं बस सुनती है,
कभी आँखों को सोखती है,
तो कभी जल्लाहट को लेती है।
अपने सीने को सख़्त कर,
मेरा सिरहाना बनती है।
कहती है की देख मुझे,
सफ़ेद रंग में पाक लिपटी हूँ,
पर कोना कोना दर मेरा,
ईंट की दरारों में सनी है।
उन दरारों को गीली रेत से जोड़कर,
हज़ारों एहसासों का बोज लिए खड़ी है।

—-इशा—