Jul 3, 2016

बारिश ।

बारिश..कितने शायरों की inspiration बनी है
कभी गरम चाय का taste बनती
कभी Maggi का added मसाला बनती।

आसमान में काले बादलों से आती...बारिश
कभी प्यार में और थोड़ा love मिलाती
कभी टूटे दिल का healing power बनती।

समुन्दर की लहरों में उफान भरती...बारिश
कभी सूखे खेतों में life बनती
कभी आंटी के गमलों को green करती।

बारिश...balcony में बैठके उसकी बूँदों को गिन रही हूँ,
कभी पत्तों से फिसलती
कभी काँच पे नाचती
कभी कबूतर के पंखों में फड़फड़ाती
कभी कोने में पड़ी cycle के carrier में जमती....बारिश ।।।

-----इशा----

Jun 25, 2016

रोमानवी बारिश ।

ऐ- बादल ले चल मुझे दरिया के पास
सूखा पड़ा, मिट्टी से लाथ-पथ
मुझे ही तो ढूँढ रहा है।
चल फिर से उसमें लहर भर दें।

चल उस ज़मीन के पास
झुर्रियों से लदी, बेजान सी
हर पल सदियों सी जीती हुई।
चल फिर उसे ज़रखैज़ कर दें।

चल चलतें है पत्तों के तरफ़
रंग उड़ा जा रहा है बे-ज़ुबानों का
हरे रंग की की ख़्वाहिश लिए,
चल गिरने से पहले उनमें रूह भर दें।

लो अब हवा साफ़ हुई
नमी से लद थी, अब हल्की दौड़ रही है।
यही हूँ मैं- ख़ुशी, खनक, रोमानवी।

----इशा---

Feb 11, 2014

दर- हकीकत यह कि वोह दम-साज़ न था

एक लम्बा अरसा हो गया जब अपने जहाँ को तोडा  था,
आरिज़ाह हुए रिश्ते को रोती आँखों से धोया था।
ऐसा नहीं कि तेरी आरज़ू नहीं की,
पर तेरे ही ज़हर से अपने मलहम का अब्र बनाया था।

वक़्त को काटते हुए वक़्त बीत गया,
मेरे दिल की दरारों में अब्र का गोंद भर गया।
जो था पहले मुझमें कहीं,
अब खुदका होके भी अनजान सा लग गया।  

कभी लगा कि दुनिया क्या तुझ जैसी ही है,
या खुदा की बरक़त मुझपे कुछ वक़्त ले रही है।
घडी की सूयिों में चलते बे-बाक मेरे कदम,
उम्र से  कुछ आगे इस वक़्त को ले चल रही है।

बिस्मिल्लाह किया मैंने कि उसकी बिशारत आयी,
बियाबान ने  फूल खिलने कि बिसात पायी।
खुद को जब आईने में देखा,
तो अपनी ही छुपी हुई परछाई पायी।

दर- हकीकत यह कि वोह दम-साज़ न था,
उसका साथ थोडा दर्द-अंगेज़ कुछ ज़यादा दर्द-नाक सा था।
आज फिर तेरी हज़रत हुई,
आज फिर मेरा दिल-शिक़स्त हुआ था।









Sep 21, 2013

Tu mitti

जिस मिटटी से तुझे बनाकर मंदिर में पूजा जाता है,
 आज उसी मिटटी का सृंगार किया है मैंने। 

Apr 6, 2013

गुफ्तगू

आज फिर कलम उठे है कुछ शायरी कर लें, 
दिल-ए -दर्द को कुछ जुबां देदें। 
तेरे रूबरू आके कुछ कह न सके, 
इसके ज़रिये  तुझसे गुफ्तगू कर लें। 






Apr 4, 2013

प्यार ?






चूड़ी के टुकड़े थे, टूट के भी उतने ही खनके है

जितना तेरे प्यार का शोर था,उतने ही सन्नाटे के किस्से है। 


Feb 20, 2013

दिल से

दुकान-ए-यार के बैठे , खुम-ए-दर्द लायें है,
उक़ूबत जाम जो छिरका इताब-इज़्तिराब  पाएं है।





Feb 5, 2013

इत्तहद है खुदा से मेरी



एक इत्तहद है खुदा से मेरी
मेरे दर्द से लिपटी सर्द हवा
नंगी रातों में तेरे दरवाजे पे खड़े होगी
शगाफ़ से गुज़रके तेरे बिस्तर पर
तेरी सासों में मेरे अलम का एहसास देगी।

कुछ नमी भी है उन हवाओं में
आसुओं के नमक से भरी होगी
ठंड से कहीं आखें न खुल जाए तेरी
जलन से तेरे भी आँसू निकाल देगी।

Jan 25, 2013

जिंदगी जीने के कई बहाने

जिंदगी जीने के कई बहाने थे
वोह भी कम हो गए,
तेरी फ़ुर्क़त ने भी कुछ पल और कम किए,
तेरी तलाश क्या करू तू सामने ही तो है,
तुझसे  रूबरू अब आँख नम्म कर गए।

तेरे वादों पे कुछ पल सोंच के देखूं,
तो रेशे दार कपास का गेंदा हो।
हलकी सी बातें जो छुके नर्म लगती थी,
दीये भी  लौ के लिए नाकारा कर गए।








Sep 26, 2012

Dil se


अब रुखसत का वक़्त है
एहसास-ए-बहर छोड़े जा रही हूँ।
वो खारा तो नहीं कुछ जायदा मीठा है,
कहीं तुजे प्यास न लग जाए।