दीवारें अपनी ना भी हो
पर कुछ वक़्त गुज़ार लो उनके साथ
तो छोड़ते वक़्त उनके लिए भी आखें गीली होती है।
कितनी रातों को अकेला माना होगा
पर दीवारों ने ही मुझे झेला था।
कभी रोके चिल्लाना, कभी डर के मुँह छुपाना।
हर दीवार के साथ मेरी एक कहानी।
---इशा---
पर कुछ वक़्त गुज़ार लो उनके साथ
तो छोड़ते वक़्त उनके लिए भी आखें गीली होती है।
कितनी रातों को अकेला माना होगा
पर दीवारों ने ही मुझे झेला था।
कभी रोके चिल्लाना, कभी डर के मुँह छुपाना।
हर दीवार के साथ मेरी एक कहानी।
---इशा---
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