Feb 5, 2013

इत्तहद है खुदा से मेरी



एक इत्तहद है खुदा से मेरी
मेरे दर्द से लिपटी सर्द हवा
नंगी रातों में तेरे दरवाजे पे खड़े होगी
शगाफ़ से गुज़रके तेरे बिस्तर पर
तेरी सासों में मेरे अलम का एहसास देगी।

कुछ नमी भी है उन हवाओं में
आसुओं के नमक से भरी होगी
ठंड से कहीं आखें न खुल जाए तेरी
जलन से तेरे भी आँसू निकाल देगी।

Jan 25, 2013

जिंदगी जीने के कई बहाने

जिंदगी जीने के कई बहाने थे
वोह भी कम हो गए,
तेरी फ़ुर्क़त ने भी कुछ पल और कम किए,
तेरी तलाश क्या करू तू सामने ही तो है,
तुझसे  रूबरू अब आँख नम्म कर गए।

तेरे वादों पे कुछ पल सोंच के देखूं,
तो रेशे दार कपास का गेंदा हो।
हलकी सी बातें जो छुके नर्म लगती थी,
दीये भी  लौ के लिए नाकारा कर गए।








Sep 26, 2012

Dil se


अब रुखसत का वक़्त है
एहसास-ए-बहर छोड़े जा रही हूँ।
वो खारा तो नहीं कुछ जायदा मीठा है,
कहीं तुजे प्यास न लग जाए। 

Sep 23, 2012

फरीब-इ-नज़र अच्छा है

तेरे कपड़ों को अभी भी हंगेर में टंगा रखा है,
तेरे होने का एहसास बराह-इ- रास्त देता है। 

आज कल मैं भी ठंडी चाय की चुस्कियां लेती हु,
तेरा मुझसे होने का ख्याल फरीब-इ-नज़र अच्छा   है। 

आज भी टेबल पे दो प्लेट लगती है,
तेरी उँगलियों की थपथपी पूरे घर में गूंजती है,
अब रात की काफ्फी और टीवी पे क्रिकेट मैच,
तुझे मेरी रूह में बक़ुइद  हयात रखता है। 



Aug 29, 2012

कुछ दिल से !!!



ऐ बारिश अपनी बूंदों से कह कुछ उनके होंठों पे भी गिर, 
मेरे आंसुओं के नमक से कुछ उनका जौक भी नमकीन हो। 

----------------------------------------------------------------------

कई गीत गाए, कई साज़ छेड़े, 
उस साज़ में इक तार टूटा जो मेरे दर्द से बना था। 

-----------------------------------------------------------------------

बहुत तल्खी है सीने में जो साथ लिए चलती हूँ,
जिंदगी की चाशनी मीठी से ज़यादा चिपचिपी लगती है।

-----------------------------------------------------------------------

आज बारिश की बूंदों ने मिलकर कोई साज़िश की है,
दिल की छोटी सी ख्वाइश को फिर नयी आवाज़ दी है,
कुछ न कहके भी, कुछ कहने की चाहत,
बेशर्म सी, तुझे तेरी मोहब्बत दी है। 

-----------------------------------------------------------------------

कुछ यादें तेरे पास होंगी, 
कुछ यादें मेरे पास है। 
जिंदगी तुमसे दूर सही, 
मौत का दामन मेरे पास है। 
रात की सिलवटों में तेरी खुशबू के एहसास में, 
उस बारिश की बूंदों की खनकती हुई आवाज़ में, 
तुझे पाने का अंजाम नहीं,
तेरे आने का एहसास है। 

-----------------------------------------------------------------------

Jul 27, 2012

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया

हमने भी फुरसतों में तुमसे प्यार नहीं किया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


रात इक कोने में पड़ी हमको सुला रही थी,
आपनी हसीं की रौशनी से तुमने जगा दिया। 
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया। 


रोके रहे कि दिल को  आदत नहीं हो जाये, 
सहमे रहे कि बाहें तेरी हमसे न हट जाये.
तुने फिरसे रोने का बहाना दिला दिया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


अब न चाहकर भी तेरी खुशबु से लिपट पड़ी,
दूर तक तू है नहीं, पर एहसास से जुडी,
क्या फुरसतें, क्या प्यार, यह तनहाइयाँ दिला दिया,

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।












Kuch Yaadein

कुछ यादें तेरे पास होगी,
कुछ यादें मेरे पास है.
जिंदगी तुमसे दूर सही, 
मौत का दामन मेरे पास तो है।

रात की सिलवटों में तेरी खुश्ब्हू के एहसास में,
उस बारिश की बूंदों की खनकती हुई आवाज़ में,
तुजे पाने का अंजाम तो नहीं,
तेरे आने का एहसास तो है। 









Jun 23, 2012

आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

अपनी ही एहसासात ने आज कमज़ोर कर दिया,
चाहकर भी दिल बे-मजबूर कर दिया।
आंसुओं को हम बहाने से कतराया करते थे,
आज ऐसा निकला कि  हर दीवार गीला कर दिया।

कह गए है हम रात के सन्नाटों से,
आज चादर फिर बिछा दो काली सिसकती बाहों से।
खामोशियों ने फिर कानों में तूफ़ान मचा दिया,
आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

तुमसे ही

पलकों पे सपनो की शबनम पड़ी हुई है,

क्या करूँ बंद होते ही आंसू बन बह जाती है.
 
रात का इंतज़ार नहीं, दिल डरने लगता है,

नींद का आगाज़ नहीं, 'मैं' तनहा रह जाती है। 


Feb 9, 2012

koi Intzaar sa tha...

खिड़की की मुंडेर पे बैठे और वोह इंतज़ार का आलम था 
सन्नाटों की चुबन में डूबा मेरे दिल का इक कोना था.
कुछ पल बूँदें बरस पडीं, आँखों का कुछ नगमा बना 
दूर चली उस सड़क पे जैसे कोई आने वाला था. 

ठण्ड हवा के झोंके ने कुछ पत्तों को यूँ हिला दिया
आहट उनकी थी पर रुकी धड़कन पे दिल मेरा था.

घडी की सूईयाँ भी खुद से दूर जा रही है, 
अब रात की तन्हाई मुझे और सहमा रही है
अरमानों की घट्हरी बनाके खुदको जब चलता बना
चुपके से लगा की कोई आपना साया सा गुज़रा था.