Apr 15, 2011

Zindgi-muje teri chah nahi

जिंदगी और क्या रंग दिखाएगी हमें, 
तपती रेत पर नंगे पैर चलाएगी हमें. 

हमने तो लाख कोशिशें की तुजे छोड़ने की, 
पर किस्मत को यह भी मंजूर नहीं,
फिर चली आई तू बेशरम सी पास यही. 

यूँ तो मेरे रूह के साथ जुडी है तू, 
पर जब चुभी  है सर्दी, या चली है गरम लू, 
हमें तड़पता देखकर हर पल हँसी है तू. 

आपने हर अरमान को दबाए, 
तुझे हर पल साथ लिए चले गए हम, 
यह सोंचकर शायद कभी तो समझेगी हमारे रंजो-गम. 

हमने तो हमेशा तुजे चाहने की कोशिश की, 
पर तू दिल को दर्द देकर आँखों के रस्ते बहार आ गयी, 
तुने कभी हमें प्यार करने की सोंची भी नहीं. 

अब कोई आशा या उम्मीद नहीं तुझसे, 
अब शायद वोह चाह भी नहीं रही. 
हम तो किसी रह तुझे छोड़ आने की बात सोंच रहे है,
शायद किसी और को जीने दे पायेगी तू. 

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