Sep 26, 2012

Dil se


अब रुखसत का वक़्त है
एहसास-ए-बहर छोड़े जा रही हूँ।
वो खारा तो नहीं कुछ जायदा मीठा है,
कहीं तुजे प्यास न लग जाए। 

Sep 23, 2012

फरीब-इ-नज़र अच्छा है

तेरे कपड़ों को अभी भी हंगेर में टंगा रखा है,
तेरे होने का एहसास बराह-इ- रास्त देता है। 

आज कल मैं भी ठंडी चाय की चुस्कियां लेती हु,
तेरा मुझसे होने का ख्याल फरीब-इ-नज़र अच्छा   है। 

आज भी टेबल पे दो प्लेट लगती है,
तेरी उँगलियों की थपथपी पूरे घर में गूंजती है,
अब रात की काफ्फी और टीवी पे क्रिकेट मैच,
तुझे मेरी रूह में बक़ुइद  हयात रखता है। 



Aug 29, 2012

कुछ दिल से !!!



ऐ बारिश अपनी बूंदों से कह कुछ उनके होंठों पे भी गिर, 
मेरे आंसुओं के नमक से कुछ उनका जौक भी नमकीन हो। 

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कई गीत गाए, कई साज़ छेड़े, 
उस साज़ में इक तार टूटा जो मेरे दर्द से बना था। 

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बहुत तल्खी है सीने में जो साथ लिए चलती हूँ,
जिंदगी की चाशनी मीठी से ज़यादा चिपचिपी लगती है।

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आज बारिश की बूंदों ने मिलकर कोई साज़िश की है,
दिल की छोटी सी ख्वाइश को फिर नयी आवाज़ दी है,
कुछ न कहके भी, कुछ कहने की चाहत,
बेशर्म सी, तुझे तेरी मोहब्बत दी है। 

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कुछ यादें तेरे पास होंगी, 
कुछ यादें मेरे पास है। 
जिंदगी तुमसे दूर सही, 
मौत का दामन मेरे पास है। 
रात की सिलवटों में तेरी खुशबू के एहसास में, 
उस बारिश की बूंदों की खनकती हुई आवाज़ में, 
तुझे पाने का अंजाम नहीं,
तेरे आने का एहसास है। 

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Jul 27, 2012

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया

हमने भी फुरसतों में तुमसे प्यार नहीं किया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


रात इक कोने में पड़ी हमको सुला रही थी,
आपनी हसीं की रौशनी से तुमने जगा दिया। 
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया। 


रोके रहे कि दिल को  आदत नहीं हो जाये, 
सहमे रहे कि बाहें तेरी हमसे न हट जाये.
तुने फिरसे रोने का बहाना दिला दिया,
रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।


अब न चाहकर भी तेरी खुशबु से लिपट पड़ी,
दूर तक तू है नहीं, पर एहसास से जुडी,
क्या फुरसतें, क्या प्यार, यह तनहाइयाँ दिला दिया,

रास्तों का कुछ मालूम नहीं, मंजिल तुमको बना लिया।












Kuch Yaadein

कुछ यादें तेरे पास होगी,
कुछ यादें मेरे पास है.
जिंदगी तुमसे दूर सही, 
मौत का दामन मेरे पास तो है।

रात की सिलवटों में तेरी खुश्ब्हू के एहसास में,
उस बारिश की बूंदों की खनकती हुई आवाज़ में,
तुजे पाने का अंजाम तो नहीं,
तेरे आने का एहसास तो है। 









Jun 23, 2012

आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

अपनी ही एहसासात ने आज कमज़ोर कर दिया,
चाहकर भी दिल बे-मजबूर कर दिया।
आंसुओं को हम बहाने से कतराया करते थे,
आज ऐसा निकला कि  हर दीवार गीला कर दिया।

कह गए है हम रात के सन्नाटों से,
आज चादर फिर बिछा दो काली सिसकती बाहों से।
खामोशियों ने फिर कानों में तूफ़ान मचा दिया,
आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

तुमसे ही

पलकों पे सपनो की शबनम पड़ी हुई है,

क्या करूँ बंद होते ही आंसू बन बह जाती है.
 
रात का इंतज़ार नहीं, दिल डरने लगता है,

नींद का आगाज़ नहीं, 'मैं' तनहा रह जाती है। 


Feb 9, 2012

koi Intzaar sa tha...

खिड़की की मुंडेर पे बैठे और वोह इंतज़ार का आलम था 
सन्नाटों की चुबन में डूबा मेरे दिल का इक कोना था.
कुछ पल बूँदें बरस पडीं, आँखों का कुछ नगमा बना 
दूर चली उस सड़क पे जैसे कोई आने वाला था. 

ठण्ड हवा के झोंके ने कुछ पत्तों को यूँ हिला दिया
आहट उनकी थी पर रुकी धड़कन पे दिल मेरा था.

घडी की सूईयाँ भी खुद से दूर जा रही है, 
अब रात की तन्हाई मुझे और सहमा रही है
अरमानों की घट्हरी बनाके खुदको जब चलता बना
चुपके से लगा की कोई आपना साया सा गुज़रा था.     

   

Feb 7, 2012

woh ek raat thi...

वोह एक रात सही, 
तुम आये दिल्लगी करने 
रात भर शम्मा जली तेरे घर को रोशन करने...
फासले कभी थे भी या नहीं, वोह वक़्त बता पायेगा
हम तो जल कर भी लगे तेरा मरहम बन्ने...
बहुत दूरियां सही...वोह एक रात सही... 

Jan 15, 2012

Tu...kyu hai

तू मेरे पास है पर दिल तुजे ढूँढता क्यों है
भिखरी यादों पैर यह दर्द सा कोहरह क्यों है.
है ज़माने में कई रंज-ओ-सितम,
तेरी फुरकत ने परेशान मुझे किया क्यों है.
तू यह कहता है मैं तुझ्से, तू मुझसे नहीं,
फिर भी तुजे देखके मेरा दिल धड़कता क्यों है.