Jun 23, 2012

आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

अपनी ही एहसासात ने आज कमज़ोर कर दिया,
चाहकर भी दिल बे-मजबूर कर दिया।
आंसुओं को हम बहाने से कतराया करते थे,
आज ऐसा निकला कि  हर दीवार गीला कर दिया।

कह गए है हम रात के सन्नाटों से,
आज चादर फिर बिछा दो काली सिसकती बाहों से।
खामोशियों ने फिर कानों में तूफ़ान मचा दिया,
आज ऐसा निकला कि हर दीवार गीला कर दिया।

तुमसे ही

पलकों पे सपनो की शबनम पड़ी हुई है,

क्या करूँ बंद होते ही आंसू बन बह जाती है.
 
रात का इंतज़ार नहीं, दिल डरने लगता है,

नींद का आगाज़ नहीं, 'मैं' तनहा रह जाती है। 


Feb 9, 2012

koi Intzaar sa tha...

खिड़की की मुंडेर पे बैठे और वोह इंतज़ार का आलम था 
सन्नाटों की चुबन में डूबा मेरे दिल का इक कोना था.
कुछ पल बूँदें बरस पडीं, आँखों का कुछ नगमा बना 
दूर चली उस सड़क पे जैसे कोई आने वाला था. 

ठण्ड हवा के झोंके ने कुछ पत्तों को यूँ हिला दिया
आहट उनकी थी पर रुकी धड़कन पे दिल मेरा था.

घडी की सूईयाँ भी खुद से दूर जा रही है, 
अब रात की तन्हाई मुझे और सहमा रही है
अरमानों की घट्हरी बनाके खुदको जब चलता बना
चुपके से लगा की कोई आपना साया सा गुज़रा था.     

   

Feb 7, 2012

woh ek raat thi...

वोह एक रात सही, 
तुम आये दिल्लगी करने 
रात भर शम्मा जली तेरे घर को रोशन करने...
फासले कभी थे भी या नहीं, वोह वक़्त बता पायेगा
हम तो जल कर भी लगे तेरा मरहम बन्ने...
बहुत दूरियां सही...वोह एक रात सही... 

Jan 15, 2012

Tu...kyu hai

तू मेरे पास है पर दिल तुजे ढूँढता क्यों है
भिखरी यादों पैर यह दर्द सा कोहरह क्यों है.
है ज़माने में कई रंज-ओ-सितम,
तेरी फुरकत ने परेशान मुझे किया क्यों है.
तू यह कहता है मैं तुझ्से, तू मुझसे नहीं,
फिर भी तुजे देखके मेरा दिल धड़कता क्यों है. 







Dec 28, 2011

रात की ख़ामोशी और हम

रात की ख़ामोशी भी कितना शोर मचा रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.

रेत की परतों पे जो मकान बनाये थे
उनके निशाँ अभी भी बाकी है.
वही छाप उस ख़ामोशी में तूफान बना रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.

रंगों को लेके हाथ में रंगती थी दुनिया को,
आज रंगों के दब्भों से डर रही है,
काले रंग की सिहाई में रंगों को छुपा रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.













Aug 30, 2011

Tum to aaj bhi ho

एक सदी भीत गयी, एक ज़माना चला गया,
रह-जुज़र हर तराना भीत गया.
कम्बक्ह्त यह दिल एहसास दिलाता है,
तू तो गया पर तेरा साया रह गया...

एक अरसा हुआ तुजे देखे हुए, तेरी सूरत का हर नक्षा याद है,
माना हाथों को हाथों में लिया नहीं कबसे,

Aug 4, 2011

दिल में इक बेताबी लेके चल रही हूँ
एक दिन तो एहसास हो तुझे मेरे इश्क का.

तू दोस्त ही तो था, एक छोटी सी पहचान ही तो थी,



May 31, 2011

Ek Pal

एक पल...कहाँ से लाऊं, 
की वोह पल तुम्हारे संग जी सकूं...
एक पल कहाँ से लाऊँ, 
छु सकूँ और महसूस कर सकूँ तुम्हे...

कितने पल भीत गए  वोह पल ढूँढने में,
चिरागों में, अंधेरों में, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
मेरी रौशनी के अंधेरों को हटा सके...

बैठती रही, सोंचती रही, 
कभी कभी तो रोती भी रही, 
बात करूँ  तो क्या करू, किस्से कहूँ,
कि वोह पल माँगा दो, दूंढ दो, दिला दो...

बारिश कि बूंदों में आंसुओं को छुपाती रही, 
अब तो बारिश भी नहीं होती है,
रात के सन्नाटे में ख़ामोशी सुनती रही, 
अब तो नींद भी नहीं आती है, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
जो बदल कि खनक में हरियाली कि चनक भरे, 
मेरी जिंदगी को एक जिंदगी का नाम दे...


May 14, 2011

Let's Begin The Day

The Baby Sun has come in my Balcony,
The warm rays are peeking thru  my door.
It has got the breeze in......
touching my body & soul...

and I wake up in the golden rain,
smell of soil & singing rain...
So let's go out n play, with the rainbow & Hay...

Dancing birds, and falling falls,
catch the clouds, n sing with birds...
come with me, I will take u to the Lovee...