Dec 28, 2011

रात की ख़ामोशी और हम

रात की ख़ामोशी भी कितना शोर मचा रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.

रेत की परतों पे जो मकान बनाये थे
उनके निशाँ अभी भी बाकी है.
वही छाप उस ख़ामोशी में तूफान बना रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.

रंगों को लेके हाथ में रंगती थी दुनिया को,
आज रंगों के दब्भों से डर रही है,
काले रंग की सिहाई में रंगों को छुपा रही है,
उलझती हुई उलझनों को और उलझा रही है.













Aug 30, 2011

Tum to aaj bhi ho

एक सदी भीत गयी, एक ज़माना चला गया,
रह-जुज़र हर तराना भीत गया.
कम्बक्ह्त यह दिल एहसास दिलाता है,
तू तो गया पर तेरा साया रह गया...

एक अरसा हुआ तुजे देखे हुए, तेरी सूरत का हर नक्षा याद है,
माना हाथों को हाथों में लिया नहीं कबसे,

Aug 4, 2011

दिल में इक बेताबी लेके चल रही हूँ
एक दिन तो एहसास हो तुझे मेरे इश्क का.

तू दोस्त ही तो था, एक छोटी सी पहचान ही तो थी,



May 31, 2011

Ek Pal

एक पल...कहाँ से लाऊं, 
की वोह पल तुम्हारे संग जी सकूं...
एक पल कहाँ से लाऊँ, 
छु सकूँ और महसूस कर सकूँ तुम्हे...

कितने पल भीत गए  वोह पल ढूँढने में,
चिरागों में, अंधेरों में, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
मेरी रौशनी के अंधेरों को हटा सके...

बैठती रही, सोंचती रही, 
कभी कभी तो रोती भी रही, 
बात करूँ  तो क्या करू, किस्से कहूँ,
कि वोह पल माँगा दो, दूंढ दो, दिला दो...

बारिश कि बूंदों में आंसुओं को छुपाती रही, 
अब तो बारिश भी नहीं होती है,
रात के सन्नाटे में ख़ामोशी सुनती रही, 
अब तो नींद भी नहीं आती है, 
वोह पल कहाँ से लाऊं,
जो बदल कि खनक में हरियाली कि चनक भरे, 
मेरी जिंदगी को एक जिंदगी का नाम दे...


May 14, 2011

Let's Begin The Day

The Baby Sun has come in my Balcony,
The warm rays are peeking thru  my door.
It has got the breeze in......
touching my body & soul...

and I wake up in the golden rain,
smell of soil & singing rain...
So let's go out n play, with the rainbow & Hay...

Dancing birds, and falling falls,
catch the clouds, n sing with birds...
come with me, I will take u to the Lovee...

May 10, 2011

Ghar mein kyu hai yeh mela hai...

चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.
कोई नहीं है मगर फिर क्यों यह मेला है..

हवा की सरसराहट या सिसकियाँ है रोने की,
कहो कुछ भी मगर एहसास सर्द सा क्यों है...
चलो अब शाम हुई, घर में भी अँधेरा है.

सीली हुई है जगह, सीला सा दर्पण है,
नमी है आँखों में मगर फिर भी सब क्यों गीला है...
चलो अब शाम हुई, घर में क्यों अँधेरा है.

Apr 15, 2011

Toota hua Ghada

मेरी जिंदगी एक टूटा हुआ घड़ा है,
हाथ में लेके जीये जा रही हु,
यह उम्मीद लगाये की जुड़ जाएगी कहीं.

लेकिन क्या टूटा हुआ घड़ा जुड़ पाया है कभी,
क्या ठहरा है पानी उसमें या थोड़ी सी नमी. 
चुभतें हैं टुकड़े लेके हाथों में अगर उनको, 
टूटी हुई चीज़ों को फैंका जाता है कहीं.

फिर मैं जिंदगी क्यों जी रही हु,
क्यों उमीदों की डोर सजाये बैठी हूँ.
लेलो न इसे, दफ़न कर दो कहीं,
आँखें बंद हूँगी तो सपनों का दामन छूटेगा तो सही...

Aitbaar

रिश्तों की इमारत बनाना कोई आसन खेल नहीं, 
इसे खड़ा करने के लिए बुनियाद चाहिए विशवास की.

ऐतबार...छोटा सा है लफ्ज़, 
   पर इसी लफ्ज़ ने बांधें दिलों के तार है.

किसी से हाथ मिलाना तो आसान है,
पर उस हाथ को थामे रखना कोई छोटी बात नहीं.

ऐ-दोस्त ऐतबार है तेरी हर बात पर,
       तेरे हर कदम पर,
अगर होता न यह विश्वास,
        तो शायद मेरे कदम न चल पते तुम्हारे संग,
न रोतीं मेरी आँखें तेरे दर्द-ओ-गम पर.

पर आज तेरी हर याद ने दर्ग उठाया है दिल में,
        वोह ऐतबार टूटकर चुभ गया है मुझसे.
कोई शिकायत तो नहीं तुझसे, 
पर तेरी हर बात पर दिल बात नहीं करता मुझसे.

तुझसे कोई शिकवा-शिकायत तो नहीं,
         पर अब शायद...
शायद इस दिल को जोड़ पाना तुम्हारे बस की बात नहीं...

Kuch pal

कितने हसीन है यह पल...
           जो तुम्हारे संग गुज़रते है.
शायद उन पलों को उस वक़्त नहीं जान पाती हु मैं,
           पर अकेले में, 
अकेले में वही पल चेहरे पर कुछ मुस्कान लातें है.

मुद्दत के इंतज़ार के बाद,
         अकेलेपन में उन पों को ढूँढती हुई, 
उनके मिलने पर शायद उन लम्हों की कद्र नहीं रहती मुझे,
          रूठना-मानना, तू तू, मैं मैं...
इनमे ही पल कैसे चले जातें है.
           पर अकेले में...
अकेले में याद आता है कि हर पल कितना ख़ास है. 

शर्म आती है पर कैसे कहूँ...
          कैसे कहूँ कि शर्मिंदा हूँ अपने आप पर.
कैसे तुम चुनकर लेट हो वह अनमोल पल,
          और मैं तुम्हें रुलाती-सताती हु उन्हें तोड़ कर.

अब इंतज़ार है उन्हीं पलों का,
        और आँखें भुन रहीं है नए सपने,
मन तुम्हारे दिल को दर्द हुआ कुछ कम नहीं,
           पर उस दर्द में...
उस दर्द में मेरे प्यार कि मिठास है बढकर कहीं. 

बड़ी किस्मत है तुम मिले हो,
            कुछ इंतज़ार ही सही...
कुछ पल ही सही...

All Alone

We were meant to be together,
forever as one.
I wish I could turn back time.
where you said...
Love me as much as I love you,
the rest will follow...
beauty, truth, wit and passion,
togetherness, put them in which order you will..........


We pass by for a few moments.
make them sweet and long,
   Let the taste of Life & Love,
linger sweet on our minds & tongues.
   Let the glories of the Universe, 
seep and drift in our veins.
So that when it is all over,
  As our lives and bodies must,
we can say that was a dream & necessity.
          I have dared,
                   to do both.
And the passage was better for the effort...
Lots of love and warmth...


Where are you my love,
           As here i am,
                      All alone...
broken & shattered.
Show me your love once again,
for we meant to be together,
                      Forever as one!

Soul

I waited, waited till I broke down,
waited till my tears dried,
waited till end of  Life...


But alas! my soul is still searching for him,
                 for his love.
For him to tell me ''**** i love you",
''i am for you & you are mine.''


My soul is still searching for his words...


Nobody can define our relation,
He & I know the best of each other & the worst.


But alas! my soul is still searching for him...


Where he is gone? leaving me...
leaving me stranded & shattered...


My arms are open to embrace him,
to melt my pain in his love,
to make him know he has become 
                                                  my part!

FATHER

He held my hands & made me walk,
holding pen, he taught me A,B,C...

Everyday he woke up early before dusk, 
to make breakfast & prepare me for school.
And how carefully he taught me to cross roads & board the bus.

Back home, he served lunch, 
and washed my uniform.
   And how he sat late nights for my exams.

As I grow up, he grew up with me,
He listened every nonsense of mine,
                                 and smiled with me. 

Like a good friend, 
he heard every joy-n-sorrow of my life.
    And how he taught to tackle with all.

But, alas! this is an imagination,
creation of my mind,
                              a day dream.

I wish I could reverse the time,
and all these happen with me.
I could feel the warmth & love of that man,
His caring and friendliness for me,
the person, I can hug and say-
                                  he means God to me,
                                  the person, my Father

Fir naya Intzaar

आज पता चला है- 
दुनिया में कोई किसी का नहिऊ होता. 
फिर भी न जाने क्यों, 
यह दिल किसी का दिल तोडना नहीं चाहता. 

अपनी तरफ से हमने वफ़ा की, 
उम्मीद की वाफी की.
मगर दुनिया की हर सांस ने-
दिखाई सूरत बेवफाई की. 

अब तो सौ टुकड़े में भी-
मैं नहीं मिल पाऊँगी,
टूटी इस तरह कि शीशे-
खुद से ही न निकल पाऊँगी. 

फिर भी तैरती आँखें-
न जाने किसका इंतजार करती है. 
क्यों उन्मीद लगाए बैठा है यह दिल-
कि फिर जुड़ पायेगा. 

वही हु मैं, 
बदलती दुनिया के साथ-
न बदलती हुई ईशा. 
इतने धकों, ठोकरों के बाद भी, 
रास्ते में ही खड़ी हूँ. 

फिर किसी नई उन्मीद के साथ, 
एक नई किरण की आशा में.
भटकती हुई दुनिया में,
खुद को संभालती हुई. 



Zindgi-muje teri chah nahi

जिंदगी और क्या रंग दिखाएगी हमें, 
तपती रेत पर नंगे पैर चलाएगी हमें. 

हमने तो लाख कोशिशें की तुजे छोड़ने की, 
पर किस्मत को यह भी मंजूर नहीं,
फिर चली आई तू बेशरम सी पास यही. 

यूँ तो मेरे रूह के साथ जुडी है तू, 
पर जब चुभी  है सर्दी, या चली है गरम लू, 
हमें तड़पता देखकर हर पल हँसी है तू. 

आपने हर अरमान को दबाए, 
तुझे हर पल साथ लिए चले गए हम, 
यह सोंचकर शायद कभी तो समझेगी हमारे रंजो-गम. 

हमने तो हमेशा तुजे चाहने की कोशिश की, 
पर तू दिल को दर्द देकर आँखों के रस्ते बहार आ गयी, 
तुने कभी हमें प्यार करने की सोंची भी नहीं. 

अब कोई आशा या उम्मीद नहीं तुझसे, 
अब शायद वोह चाह भी नहीं रही. 
हम तो किसी रह तुझे छोड़ आने की बात सोंच रहे है,
शायद किसी और को जीने दे पायेगी तू. 

Mere Ishq ki khabar tumko nahi

इश्क हमको नहीं वेह्शत ही सही, 
मेरी वेह्शत तेरी शौहरत ही सही.

हम तो दुश्मन तो नहीं है अपने, 
गैर को तुमसे महोब्बत ही सही.

हम तेरे दिल में, तेरी आँखों में नहीं, 
आप मेरे अंजुमन में सही.

दो घडी देखके करीब मुझे, 
खवाब सजाना कोई गुनाह तो नहीं. 

नहीं करीब कोई गिला नहीं, 
मेरे सीने में तेरी ताबीर सही. 

Apr 4, 2011

Raaste


आज रास्ते फिर खड़े है तन्हाईयों की सिसकियाँ लेके, 
आज रात भर फिर हम नींद से परे है.
सोंचते है धुप में कुछ अंधेरे तो घुल जायेंगे, 
आज किरने फिर बादलों से गिरे है. 
गीले आंसुओं की ठण्ड से सहम गया है दिल, 
आज फिर धडकनों में दर्द उमड़ पड़े है.


hum to haste hai jab tum hasate ho

हम तो हसतें है जब तुम हसातें हो, 
हसतीं हुई आँखों से जब आंसू टपकते है, 
उनमे तुम जलाकते हो...
गूंजती हुई हसीं जब कानो से टकराती है, 
तब तुम सुने देते हो...
हर हसी के से जो ख़ुशी जलाकती है, 
उस ख़ुशी की दुआ गुलते जाते हो...